Sunday, December 21, 2014

चकराता से खिर्सू की यात्रा

८ नवम्बर को चकराता पहुँच गया था, कलेसर राष्ट्रीय पार्क, आसन बराज, कालसी होते हुए.  होटल स्नो व्यू में रात बिताई. ठण्ड काफी थी, मनमोहक दृश्य. अगले दिन देवबन तक टूटी फूटी पथरीली सड़क - सड़क नहीं कहा जा सकता इसे - से अपनी आल्टो कार को चलाकर वन विश्राम घर देवबन तक पहुंचा... धुप बड़ी अच्छी लगी. कुछ तस्वीरें दी जा रही हैं.

 आसन बराज में पक्षी
 जंगली वनस्पति
 कार के शीशे से सड़क पर बैठे सफ़ेद कंठ वाली लाफिंगथ्रश पक्षी
 बहुत सारे ऐसे फूल देखे
 हिमाच्छादित पर्वत मालाये
 भव्य दृश्य
यमुना नदी का व्यापक दृश्य - कालसी से लौटते हुए पहाड़ी से - कालसी से पहले

९ नवम्बर को देवबन की यात्रा के बाद रात को वापिस आ गया होटल स्नो व्यू में. खाना वही पर.

१० नवम्बर को चकराता से ऋषिकेश के लिए निकला, कालसी में अशोक शिला लेख देखा. शाम तक आराम से कार चलते हुए होटल मोक्ष में रात गुजारी, चोटीवाला होटल में रात का खाना.
११ नवम्बर को माँ ज्ञान सुवेरा के ऋषिकेश से २० किलोमीटर आगे स्थित सुन्दर आश्रम कीर्ति Hermitage में थोड़ी देर रुका, माँ ने नीम्बू पानी पिलाया और अध्यात्मिक बाते व्यावहारिक परिवेश के साथ की.
रात को देवप्रयाग होते हुए खिर्सू पहुंचा और वह पर नेगी जी के होटल में रुका.. खाना वही पर.
१२ नवम्बर को खिर्सू से मोजखाल तक कार से यात्रा की, जगह जगह रुक रुक कर प्रकृति का आनद उठाया.
रात को खिर्सू में उसी होटल में बिताई.
१३ नवम्बर को ऋषिकेश पहुंचा. गंगा जी के किनारे स्थित योग निकेतन में एक कमरा मिला. खाना पास वाले मद्रास कैफ़े में. प्रयास किया की श्री कृष्ण सिद्धार्थ जी से मिलूं.. लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया.
१४ नवम्बर को नीलकंठ से थोड़ी उचाई पर स्थित योगी अमित् राम जी द्वारा बनाये जा रही इको फ्रेंडली आश्रम को देखने गया.. कार से ही.. रास्ता उबड खाबड़ था, देवबन वाले से भी ज्यादा.
वहां कोई नहीं मिला, एक चोकीदार कैलाश नेपाली ने काली चाय पिलाई.
यहाँ से दूर तक नीचे का सारा ऋषिकेश का परिदृश्य भव्य लगता है. कुछ फोटो लिए.
 कालसी स्थित अशोक शिला लेख
 माँ ज्ञान सुवेरा
 माँ ज्ञान सुवेरा का अद्भुत आश्रम - नैसर्गिक खूबसूरती
 कैलाश नेपाली .. उसकी नाक और आँख के बीच कोई रोग है लेकिन उसके पास पैसे नहीं है इतने की इलाज करवा सके.
योगी अमित राम जी का आश्रम जहा फेंकी गयी बोतलों, टायरो से कमरे बनाये जा रहे हैं.

आश्रम से नीचे की गंगा का दृश्य

१४ की रात योग निकेतन में ही बिताई. १५ को सोनीपत लौट आया रात होने तक.